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Monday, 28 January 2019

सरकारी कंपनियों में पहली फरवरी से सामान्य वर्ग के गरीबों को मिलेगा 10% आरक्षण

केंद्रीय सार्वजनिक कंपनियां (सीपीएसई) अपने यहां सभी सीधी भर्तियों में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोगों (ईब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण कोटे को 1 फरवरी से लागू करेंगी. देश में कुल 339 सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (सीपीएसई) है, जिनमें 31 मार्च 2018 तक कुल 13.73 लाख करोड़ रुपए का निवेश है. इन कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या 2016-17 में 11.55 लाख से 2017-18 में 10.88 लाख थी. इनमें संविदा और दैनिक भत्ते पर काम करने वाले शामिल नहीं हैं. आरक्षण लागू करने का आदेश लोक उद्यम विभाग ने जारी किया है सार्वजनिक कंपनियों में सामान्य वर्ग के गरीब लोगों (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण लागू करने का आदेश लोक उद्यम विभाग ने जारी किया है. विभाग ने कहा, सभी मंत्रालयों व विभागों से अनुरोध है कि वे अपने अधीन आने वाले सभी सीपीएसई से यह सुनिश्चित करने के लिए कहें कि आर्थिक रूप से गरीब लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए और यह 1 फरवरी 2019 या इसके बाद अधिसूचित होने वाली सभी सीधी भर्तियों की भर्ती में लागू होगा. विभाग ने सार्वजनिक कंपनियों से 15 फरवरी से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर और अनारक्षित श्रेणी में उनके द्वारा की जाने वाली भर्ती के बारे में हर 15 दिन में रिपोर्ट देने के लिए कहा है. ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए आरक्षण को लागू किया जा सके इससे पहले, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने भी सभी मंत्रालयों और विभागों को इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करने के लिए कहा था ताकि सीधी भर्तियों में बिना किसी विफलता के ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए आरक्षण को लागू किया जा सके. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के आरक्षण की मौजूदा योजनाओं के दायरे में नहीं आने वाले ऐसे लोग जिनकी वार्षिक आय 8 लाख रुपए से कम है, उनकी पहचान ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तौर पर की गई है और इन्हें इस आरक्षण का लाभ मिलेगा. आवासीय भूमि के मालिकों को आरक्षण के दायरे से बाहर रखा गया है 5 एकड़ या इससे ज्यादा कृषि भूमि वाले परिवारों, एक हजार वर्ग फुट या इससे अधिक के आवासीय फ्लैट, अधिसूचित नगर निगम क्षेत्र में 100 वर्ग गज या उससे अधिक की आवासीय भूमि और नगर निगमों के अधिसूचित इलाकों से बाहर के क्षेत्रों में 200 गज या इससे अधिक आवासीय भूमि के मालिकों को भी इस आरक्षण के दायरे से बाहर रखा गया है. हाल ही में मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि उनके विभाग ने सभी शिक्षण संस्थानों और केंद्रीय विश्वविद्यालय को आगामी अकादमिक वर्ष से आरक्षण लागू करने के लिए कहा है.

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