मकर संक्रांति और पोंगल के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओडिशा और केरल के दौरे पर थे, जहां उन्होंने कई योजनाओं की आधारशिला रखी तो कई को हरी झंडी दिखाई. विकास की राह पर चलकर वोट बटोरने की तैयारी में मिशन ओडिशा और मिशन केरल के तहत प्रधानमंत्री ने दोनों ही राज्यों को कई सौगात दी. मोदी की नजर ओडिशा और केरल जैसे उन राज्यों पर है, जहां बीजेपी अबतक बीजेपी का जनाधार कम रहा है. लेकिन, अबकी बार पार्टी ने लगातार मेहनत के दम पर अपनी सफलता की कुछ संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी हैं. पार्टी की रणनीति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले तीन हफ्ते में प्रधानमंत्री मोदी का यह तीसरा ओडिशा दौरा था, जबकि प्रधानमंत्री बनने के बाद से केरल के कोल्लम का यह उनका तीसरा दौरा था. मोदी कोल्लम से इससे पहले 2015 के दिसंबर महीने में में आए थे. उस वक्त केरल के पूर्व मुख्यमंत्री आर. शंकर की प्रतिमा का उन्होंने अनावरण किया था. इसके बाद 2016 में कोल्लम में अग्निकांड के बाद 2016 के अप्रैल में प्रधानमंत्री आए थे. पहले बात मोदी के केरल दौरे की करें तो यहां उनका आना इसलिए भी चर्चा कें केंद्र में रहा, क्योंकि सबरीमाला मंदिर के मुद्दे पर केरल की लेफ्ट सरकार और बीजेपी आमने-सामने हैं. गौरतलब है कि अभी सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के फैसले के बाद सीपीआईएम के नेता ए.एन. शमसीर समेत कई नेताओं के घर पर हमला हा था, दूसरी तरफ, बीजेपी सांसद मुरलीधरन के अलावा कई बीजेपी और आरएसएस नेताओं के घरों पर हमला हुआ था.बीजेपी लगातार केरल की सरकार पर बीजेपी और संघ परिवार के लोगों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाती रही है. लिहाजा मोदी के भाषण पर सबकी नजरें थी. प्रधानमंत्री मोदी ने कोल्लम में अपनी रैली में लेफ्ट सरकार पर जोरदार हमला भी किया. उन्होंने कहा कि केरल की लेफ्ट गठबंधन की सरकार का व्यवहार इतिहास में किसी भी पार्टी और सरकार के सबसे शर्मनाक व्यवहार में गिना जाएगा. हमें पता है कि कम्युनिस्ट भारत के इतिहास, संस्कृति का सम्मान नहीं करते हैं, लेकिन किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि उन्हें इतनी नफरत होगी. उन्होंने कांग्रेस की अगुआई वाली केरल के विपक्षी गठबंधन यूडीएफ को भी लताड़ा. उनका कहना था कि यूडीएफ बेहतर नहीं है, कांग्रेस के कई स्टैंड हैं. वे संसद में एक बात कहते हैं लेकिन पथानामथिट्टा में अलग बात कहते हैं. इस मुद्दे पर हमारा रुख हमेशा स्पष्ट रहा है और, हमारी पार्टी की हरकतें हमारे शब्दों से मेल खाती हैं. ये भी पढ़ें: डिंपल यादव और मायावती के जन्मदिन का जश्न यूपी की नई सियासत कहानी कह रहा है उन्होंने लेफ्ट और कांग्रेस पर लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय के संबंध में बड़े-बड़े दावे करने लेकिन, हरकतें बिल्कुल उल्टा होने का दावा किया. उन्होंने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की बात करने वाली लेफ्ट सरकार पर हमला करते हुए कहा कि ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर लेफ्ट और कांग्रेस विरोध क्यों कर रहे हैं ? एक बार फिर केरल में भी पीएम मोदी ने सामान्य वर्ग के गरीब तबके के लिए 10 फीसदी आरक्षण के मुद्दे का जिक्र कर इसे समाज में गैर बराबरी और सबका हक दिलाने वाला कदम बताया. उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले, हमारी सरकार के पास एक कानून पारित करने का ऐतिहासिक अवसर था जो सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को 10 फीसदी कोटा देता है. हम मानते हैं कि प्रत्येक भारतीय, चाहे कोई भी जाति, पंथ या समुदाय हो, समान अवसर का हकदार है. बीजेपी केरल में अपनी जडे़ें मजबूत करने में लगी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी लगातार केरल दौरे पर जाते रहे हैं. बीजेपी की तरफ से संघ और बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमले के खिलाफ लगातार आवाज उठाई जाती है. कोशिश है आक्रामक तरीके से राज्य में एक विकल्प के तौर पर अपने-आप को खड़ा किया जाए. यही वजह है कि केल के दौरे पर प्रधानमंत्री ने यूडीएफ और एलडीएफ दोनों को एक ही सिक्के का दो पहलू बताया. मोदी ने कहा कि दोनों नाम में अलग हैं, लेकिन भ्रष्टाचार, जातिवाद और सांप्रदायिकता के मामले में दोनों बराबर हैं. उन्होंने कहा कि ये दोनों नाम में अलग हैं, लेकिन केरल के सांस्कृतिक कपड़े को नुकसान पहुंचाने में, वे समान हैं. ये दोनों नाम में अलग हैं, लेकिन राजनीतिक हिंसा में, वे समान हैं. मोदी ने इसके पहले कोल्लम में NH-66 पर 13 किलोमीटर लंबे कोल्लम बाईपास का उद्घाटन किया. इस बाईपास के उद्घाटन के बाद अलप्पुजा और तिरुअनंतपुरम के बीच अपेक्षाकृत कम समय लगा करेगा. इस बाईपास के बन जाने के बाद कोल्लम में यातायात पर दबाव भी कम हो जाएगा. इसके अलावा उन्होंने केरल के लिए शुरू की गई और योजनाओं का जिक्र भी किया. दरअसल केरल की लोकसभा की 20 सीटों में से बीजेपी के पास एक भी सीट नहीं है. लेकिन, पार्टी इस बार उम्मीद लगाकर बैठी है. बीजेपी को लगता है कि केरल में सत्ताधारी लेफ्ट गठबंधन और विपक्षी कांग्रेस गठबंधन को एक ही सिक्के के दो पहलू बताकर अपने लिए एक जगह की तलाश की जा सकती है. लोकसभा चुनाव 2014 के बाद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की नजर केरल पर रही है. अब चुनावी साल में प्रधानमंत्री की तरफ से केरल को दी गई सौगात और कोल्लम में लेफ्ट-कांग्रेस पर किया गया वार उसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. ये भी पढ़ें: बीजेपी को हराने और मोदी को हटाने के लिए यूपी में ‘वोट कटवा’ पार्टी बन गई कांग्रेस? केरल से पहले मोदी ने ओडिशा के झारसुगुडा में प्रधानमंत्री मल्टी मोडल लॉजिस्टिक्स पार्क यानी एमएमएलपी योजना की शुरुआत की. एमएमएलपी का निर्माण सौ करोड़ रुपये की लागत से हो रहा है. इसके बन जाने से घरेलू माल ढुलाई में सहूलियत होगी.ये हावड़ा-मुंबई लाइन पर स्थित है, जो कि झारसुगुडा रेलवे स्टेशन से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर है. एमएमएलपी के बन जाने के बाद इससे आसपास के स्टील औऱ सीमेंट समेत कई उद्दोगों को फायदा होगा. इसके अलावा उन्होंने बलांगीर और बिचुपली के बीच एक नये रेलवे लाइन की भी शुरुआत की. 15 किलोमीटर लंबा बलांगीर-बिचुपली नया रेल लाइन ओडिशा के तटीय हिस्से को पश्चिमी हिस्से से जोड़ देगा. इस लाइन के शुरू हो जाने के बाद भुवनेश्वर और पुरी जैसे बड़े शहरों से राज्य के लोगों को दिल्ली और मुंबई जाने के लिए कम समय लगेगा. इसके अलावा प्रधानमंत्री ने 813 किलोमीटर लंबे झारसुगुडा- विजयनगरम रेलमार्ग और संबलपुर-अंगुल लाइन के विद्युतीकरण को भी देश को समर्पित किया. ओडिशा में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा का चुनाव होना है. नवीन पटनायक की सरकार के खिलाफ बीजेपी ने इस बार मोर्चा खोल रखा है. ओडिशा में 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेडी ने 21 में से 20 सीटों पर कब्जा किया था. जबकि बीजेपी के खाते में महज एक सीट ही आई थी. अब इस बार पार्टी को उम्मीद है कि पांच सालों की मेहनत के दम पर इस बार नवीन पटनायक को चुनौती दी जा सकती है. पार्टी की नजर केरल, ओडिशा और पश्चिम बंगाल समेत उन राज्यों पर है जहां वो पहले से कमजोर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ओडिशा और फिर केरल का दौरा उसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.
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Wednesday, 16 January 2019
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मोदी का केरल और ओडिशा दौरा: बीजेपी के लिहाज से ये दोनों राज्य बेहद अहम क्यों हैं ?
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