संपादकीय नोट: बुरा ना मानो ये व्यंग्य है. जिंदगी में जो नवरस है, वही भारतीय राजनीति में भी है. हास्य से लेकर रौद्र और वीर से लेकर करुण तक. लेकिन श्रृंगार ना जाने कहां छिपा बैठा है? वैलेंटाइन डे आ चुका है लेकिन प्रेम तत्व भारतीय राजनीति से गायब है. पुराने दौर के मशहूर हास्य कवि बरसाने लाल चतुर्वेदी कहा करते थे- थूककर चाटना वीभत्स रस है लेकिन राजनीति ने इसे श्रृंगार रस बना दिया है. एक व्यंग्यकार की यह पीड़ा उस दौर में जितनी जायज थी, उतनी ही अब भी है बल्कि उससे कहीं ज्यादा है. सोचता हूं आम की डालियों पर नए बौर आने, कोयल के गाने, फूलों के खिलने और बसंती बयार के बहने, इन सबका हमारे नेताओं के दिलों पर कोई असर होता होगा या नहीं? इस देश ने नेहरू से लेकर वाजपेयी सरीखे कई रोमांटिक नेता देखे हैं. लेकिन क्या मौजूदा दौर के नेताओं में कोई रूमानियत बची है? इस सवाल का जवाब मिलना कठिन है. नेताओं के मुंह से तो बिल्कुल नहीं. प्रेम शब्द से नेताओं इतना बैर क्यों? अगर यकीन ना हो तो आजमाकर देख लीजिए. आप टीवी पत्रकार हैं तो कांग्रेस, BJP या किसी भी पार्टी कार्यालय में चले जाइए और कैमरे के सामने पूछिए 'तुमने कभी किसी को प्यार किया?' आधे से ज्यादा नेता इस तरह भाग खड़े होंगे जैसे पूछा जा रहा हो 'क्या तुमने कभी कोई घोटाला किया है?' आबादी भले ही देखते-देखते 132 करोड़ हो गई हो लेकिन ज्यादातर भारतीय ये मानने को तैयार नहीं होते कि वे प्यार करते हैं. नेताओं को तो प्रेम शब्द से जैसे डर लगता है. इस डर के कारणों का विश्लेषण बहुत दिलचस्प है. पहला कारण यह है कि `वीरता’ मौजूदा राजनीति का केंद्रीय तत्व है. छोटे-बड़े तमाम नेता वीर, शूरवीर और महावीर हैं. प्रेमी कोई नहीं है. राजनीति एकदम `मरदाना’ है. मौजूदा राजनीति में हृदय की कोमलता से ज्यादा सीने का माप मायने रखता है. जनता को राजनेता के रूप में मैचोमैन ज्यादा पसंद है और परंपरा यह कहती है कि भारतीय मैचोमैन प्यार नहीं कर सकते. वे बजरंगबली के परम भक्त और लंगोट के पक्के होते हैं. अगर राजनीति में ऐसे लोगों को जमावड़ा होगा तो रोमांटिक शेरो-शायरी नहीं बल्कि आल्हा-ऊदल ही सुनने को मिलेगा. वैसे भी यह मौसम चुनाव का है. प्रेम से नेताओं के बैर का दूसरा कारण बहुत विचित्र है. वे यह मानकर चलते हैं कि रोमांटिक होना चरित्र पर सवाल खड़े करता है. इसलिए वे भूले से भी कोई ऐसी बात नहीं करते जिससे उनकी मुलायमियत या रूमानियत उजागर हो. जिस तरह प्रेम गली अति सांकरी होती है, उसी तरह सत्ता की डगर भी बहुत तंग होती है. सत्ता ही प्रेम बन जाए तो फिर असली प्रेम के लिए गुंजाइश भला कहां बचती है? फिर भी मैं एक-दूसरे पर फुंफकारते और दहाड़ते नेताओं के जमावड़े में सबसे रोमांटिक शख्सियत को ढूंढना चाहता हूं. काम मुश्किल है लेकिन है बहुत दिलचस्प. प्रेमियों पर डंडे, कांवड़ियों पर फूल- Yogi is so cool शुरुआत करते हैं, हॉलीवुड हीरो विन डीज़ल के हमशक्ल योगी आदित्यनाथ से. विन डीजल एक्शन हीरो है तो योगी आदित्यनाथ सुपर हीरो हैं. बैटमैन और सुपरमैन की तरह एक डिजाइनर पोशाक पहनते हैं और ठांय-ठांय करके क्रिमिनल्स को सीधे ऊपर भिजवा देते हैं. फिल्मी कहानियों में गुंडों का सफाया करने वाले ऐसे हीरो पर ना जाने कितनी लड़कियां मरती हैं. देखा जाए तो योगी को इंडिया का सबसे हॉट बैचलर होना चाहिए. लड़कियां इंप्रेस भी होती होंगी. लेकिन अपनी कोमल भावनाएं मन से निकाल देती होंगी, जब उन्हें याद आता होगा कि आदित्यनाथ तगड़े वाले ब्रह्मचारी हैं. `ना कभी प्रेम करूंगा ना प्रेम करने दूंगा’ सिद्धांत में भरोसा रखते हैं और इसकी बानगी सीएम बनते ही दिखा चुके हैं. उनके निर्देश पर यूपी पुलिस ने ऑपरेशन रोमियो चलाया था. पार्कों में पकड़े गए प्रेमियों की ऐसी ठुकाई हुई थी कि पूछो मत. हरिशंकर परसाई के शब्दों में कहें तो योगी पूरी तरह `अनंग मर्दन’ हैं. वेलेंटाइन डे तो दूर वे मदनोत्सव तक की बधाई नहीं देंगे. उनका सच्चा प्यार भगवान से है. उन्होंने अपने सारे फूल प्रेमियों के लिए नहीं बल्कि कांवड़ियों के लिए बचा कर रखे हैं. योगी आदित्यनाथ में रूमानियत ढूंढना एक चैलेंज है. अट्टाहस करते हुए आपने उन्हें कई बार देखा होगा लेकिन चेहरे पर मृदु मुस्कान? कभी दिख जाए तो बताइएगा. किसी के साथ जोड़ी ना बनाना, ब्रह्मचारी रहना वगैरह यह सब तो निजी मामला है. लेकिन प्यार के दो मीठे बोल बोलना भला कब मना है. इस मामले में एक और ब्रह्मचारी बाबा रामदेव का ट्रैक रिकॉर्ड कहीं बेहतर है. बाबाजी जिंदगी और जिंदादिली से भरपूर हैं. सुपर फिट हैं. कुश्ती लड़ते हैं. क्रिकेट और गीत-संगीत का शौक रखते हैं. खूब हंसी मजाक भी करते हैं. अपने नाम पर संपत्ति चाहे जितनी भी हो लेकिन पतंजलि के नाम पर अरबों का साम्राज्य खड़ा किया है. स्टाइल स्टेटमेंट एकदम अलग है. हमेशा टॉपलेस रहते हैं. सवा सोलह आने ब्रहचारी हैं लेकिन सांसारिकता पर बात करने से परहेज नहीं है. एक टीवी शो में बाबाजी ने हंसते हुए बताया था कि जब वे अमेरिका के किसी एयरपोर्ट पर पहुंचे थे तो किस तरह एक औरत ने उनसे कहा था- `Babaji Give me a hug please.' कुछ साल पहले ऐक्ट्रेस और डांसर राखी सावंत ने भी कहा था कि मैं मेनका बनकर बाबा रामदेव की तपस्या भंग कर दूंगी. यानी बाबाजी स्वीकार करें या ना करें लेकिन वो एक हॉट बैचलर हैं. यकीनन उनके पास वैलेंटाइन डे पर प्रेम निवेदन आते होंगे. बाबाजी इतने खुले स्वभाव हैं कि किसी पत्रकार ने पूछ भी लिया तो बुरा नहीं मानेंगे. `प्रेम तत्व’ के पारखी पीएम नरेंद्र मोदी भारत के इतिहास के सबसे कड़क प्रधानमंत्री हैं. देश के लिए घर-परिवार सबकुछ छोड़ चुके हैं. बिना थके रात-दिन काम करते हैं. जनसभाओं में बेहद जोशीले भाषण देते हैं. लेकिन अगर ठीक से देखें तो रौबीली शख्सियत के बावजूद उनके भीतर अब तक काफी मुलायमियत बची हुई है. वे कुदरत से प्यार करते हैं. खुद एक काव्य संग्रह लिख चुके हैं. बेहतर सौंदर्य बोध रखते हैं और जीवन में प्रेम तत्व की अहमियत को बखूबी समझते हैं. आपको मोदीजी के कई ऐसे बयान मिल जाएंगे जिनसे आपको पता चलेगा कि उनके भीतर काफी कोमलता छिपी है. उनका ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें मोदीजी यह बताते हैं कि चूल्हे-चौके में जिंदगी खपाने वाली एक औरत जब शाम को पति को खाना परोसती है, तो उसके मन में क्या चल रहा होता है. उसे कुछ और नहीं बल्कि पति से प्यार के दो मीठे बोल चाहिए होते हैं. वह कनखियों से देखती है कि शायद पति की नज़र उस हाथ पर पड़ जाए जो खाना बनाते वक्त जल गया था. वाकई मौजूदा दौर की राजनीति में इतनी संवेदनशीलता का बचा रह पाना दुर्लभ है. वैलेंटाइन डे से ठीक पहले रोज़ डे आया. एक कार्यक्रम में पहुंचे मोदी जी ने कहा- आज रोज़ डे है. ये सुनते ही वहां मौजूद नौजवानों ने तालियां बजाई. मोदीजी बोले कई लोगों को इसपर ऐतराज है. लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि मुझे रोज़ डे पर कोई एतराज नहीं है. ज़ाहिर है, आप अपने प्रधानमंत्री से यह उम्मीद कर सकते हैं कि इस बार वैलेंटाइन डे पर उनकी तरफ से कोई शुभकामना संदेश आएगा. 2019 में वैलेंटाइन डे सेलिब्रेट करने वाले फर्स्ट टाइम वोटर करोड़ों की तादाद में हैं. नेताओं को किसी और से हो ना हो अपने वोटर से प्यार ज़रूर होता है. क्या मोदीजी के मुकाबले `प्रेममार्गी’ राहुल ज्यादा रोमांटिक हैं? जब मोदीजी का जिक्र आया है तो उनके धुर विरोधी राहुल गांधी की चर्चा भला कैसे नहीं होगी. राहुल गांधी भी बैचलर हैं. क्यूट लुकिंग हैं. हंसते हैं तो गालों पर डिंपल पड़ते हैं. राहुल बड़े बैचलर नेताओं में शायद इकलौती ऐसी शख्सियत हैं, जिनकी शादी को लेकर चर्चाएं चलती रहती हैं. एक इलेक्शन कैंपेन के दौरान जब किसी ने उनसे विवाह के बारे में पूछा तो उनके गालों पर गड्ढे पड़ गए. उन्होने शर्माते हुए जवाब दिया- मैं किस्मत में यकीन रखता हूं, जब शादी होनी होगी तो अपने आप हो जाएगी. यह मानने में किसी को झिझक नहीं होनी चाहिए कि राहुल को देखकर बहुत से जवां दिल धड़कते होंगे. लेकिन क्या राहुल अंदर से रोमांटिक हैं? उनकी रूमानियत की तुलना नरेंद्र मोदी की रूमानियत से की जा सकती है? एक बार फिर साफ कर देना ज़रूरी है कि किसी के रोमांटिक होने से इस बात का कोई मतलब नहीं है कि वह कुंवारा है, शादी-शुदा या आजन्म ब्रह्मचारी. प्रेम निहायत ही खूबसूरत कुदरती तत्व है जो इस इस संसार के सभी जीवित प्राणी में पाया जाता है. राहुल गांधी की रूमानियत को लेकर वैसा ही कंफ्यूजन है, जैसा उनकी राजनीति को लेकर लंबे समय तक बना रहा. राहुल ने शुरुआत एंग्री यंगमैन इमेज के साथ की थी लेकिन अब `प्रेममार्गी’ हो गए हैं. राहुल अब लगातार कह रहे हैं कि मैं प्यार से विरोधियों को हरा दूंगा. लेकिन तेवर में प्यार नहीं गर्मी है. पार्लियामेंट में गर्मागर्म भाषण देने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री के गले में झप्पी डाल दी. कंफ्यूजन और बढ़ा जब राहुल ने लोकसभा में अलग-अलग मौकों पर दो बार आंख मारी. ये हरकत एक शरारती बच्चे जैसी थी, रौमांटिक हीरो जैसी नहीं. बेशक राहुल गांधी क्यूट और रोमांटिक लगें लेकिन मेरे हिसाब से उनके भीतर वह प्रेम तत्व नहीं है, जो प्रधानमंत्री मोदी में है. राहुल को कभी शेरो-शायरी करते या कविता पढ़ते नहीं देखा गया, जिस तरह मोदी नज़र आते हैं. उन्हे अच्छे कपड़ों का शौक नहीं है. कभी सेल्फी भी नहीं लेते. किसी `खास’ से प्यार करना, नहीं तो कुदरत से प्यार करना या फिर अपने आप से बेइंतहा मुहब्बत करना. रोमांटिक होने के ये कुछ खास पैमाने हैं और राहुल इनमें से किसी पर खरे नहीं उतरते. यह भी मुमकिन है कि वो अपनी रूमानियत के इज़हार से बचते हों. राजनीति का गलियारा इस समय पानीपत का मैदान बना हुआ है. इस वैलेंटाइन से अगले वैलेंटाइन डे तक बहुत कोहराम रहेगा. कीचड़ फेंके जाएंगे और पगड़ियां उछाली जाएंगी. ऐसे में अगर नेता थोड़ा सा प्यार मुहब्बत की बातें कर लें तो माहौल थोड़ा बेहतर हो जाएगा. एक-दूसरे को वैलेंटाइन डे की शुभकामनाएं नहीं दे सकते तो चुनाव से पहले कम से कम होली पर एक-दूसरे से गले मिल लें. प्यार का इज़हार इतनी भी बुरी बात नहीं है. (लेखक व्यंग्यकार हैं)
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