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Friday 1 March 2019

मोदी की तारीफ के मायनेः समाजवादी पार्टी के गठबंधन से खुश नहीं हैं मुलायम

16वीं लोकसभा में संसद के आखिरी सत्र के अंतिम दिन समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा कर सबको चौंका दिया. उन्होंने अपने भाषण में सबको साथ लेकर चलने और सदन में सबका खयाल रखने के लिए कई बार मोदी की तारीफ की. इसके बाद वह दौर आया, जो विपक्ष में बैठे कई नेताओं के लिए बेहद हैरान करने वाला मामला रहा. 16वीं लोकसभा की अपनी आखिरी इच्छा के तहत उन्होंने कहा कि 17वीं लोकसभा में भी वह फिर से नरेंद्र मोदी को ही प्रधानमंत्री के रूप में देखना पसंद करेंगे. मुलायम सिंह यादव ने कहा, 'प्रधानमंत्री को बधाई देना चाहते हैं हम कि प्रधानमंत्री ने सबको साथ लेकर चलने की कोशिश की है. मैं आपका आदर करता हूं, आपका सम्मान करता हूं. मैं कहना चाहता हूं कि सारे सदस्य फिर से जीत कर आएं और आप प्रधानमंत्री जी दोबारा प्रधानमंत्री बनें.' इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ रुख करते हुए हाथ जोड़कर नमस्कार की मुद्रा में उनका अभिवादन किया. मुलायम सिंह यादव के इस हैरानी भरे अंदाज के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हंसते हुए हाथ जोड़कर समाजवादी पार्टी के संरक्षक के अभिवादन का जवाब दिया. मुलायम सिंह यादव के इस अंदाज से चकित सोनिया गांधी तो पहले मुस्कुराईं और उसके बाद वह नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) की नेता सुप्रिया सूले के साथ बात करती नजर आईं. जाहिर तौर पर वह समाजवादी पार्टी के संरक्षक के बयानों पर एनसीपी नेता से गुफ्तगू कर रही होंगी. नेताजी के इस बयान को भुनाने की हरसंभव कोशिश करेगी BJP समाजवादी पार्टी के इस नेता के शब्द सत्ता पक्ष के कानों के लिए मधुर संगीत की तरह थे. दिलचस्प बात यह है कि मुलायम सिंह यादव का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब आगामी लोकसभा चुनाव में मौजूदा सत्ताधारी दल, भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती उत्तर प्रदेश में ही नजर आ रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने इस राज्य में अभूतपूर्व सफलता हासिल की थी. इसके बाद 2017 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने फिर से बड़े पैमाने पर जबरदस्त जीत हासिल करने में सफल रही. हालांकि, राज्य में हाल में बना समाजवादी पार्टी (SP)-बहुजन समाज पार्टी (BSP) का गठबंधन चुनावी अंकगणित के लिहाज से काफी मजबूत है और माना जा रहा है कि इस गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी की संभावनाओं में बुरी तरह से पलीता लगाने की क्षमता है. गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनावों यानी 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने राज्य की 73 सीटों पर जीत हासिल की थी. इसमें बीजेपी की सहयोगी पार्टी- अपना दल के दो सांसद भी शामिल हैं. उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं. भारतीय जनता पार्टी मुलायम सिंह यादव के इस बयान का उपयोग प्रमुख चुनावी मुद्दे के रूप में कर सकती है. इस बात की पूरी संभावना है कि वह उत्तर प्रदेश में इसे भुनाने की हरमुमकिन कोशिश करे. देश की सत्ताधारी पार्टी राज्य के मतदाताओं से यह कह सकती है कि प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी के काम और उनके फिर से चुने जाने को लेकर इससे और ज्यादा सराहना नहीं हो सकती है, जब मुलायम सिंह यादव जैसा शख्स मौजूदा लोकसभा की अपनी आखिरी इच्छा के तौर पर इस तरह की बात कर रहा हो. मुलायम के बयान का महत्व इस हकीकत से भी जुड़ा हुआ है कि वह असली 'धरती-पुत्र' माने जाते हैं-राजनीतिक रूप से बेहद अहम एक हिंदीभाषी राज्य का जमीन से जुड़ा हुआ नेता जिसने खुद अपनी मेहनत और काबिलियत से अपना आधार तैयार किया. हालांकि, उनकी राजनीति की दिशा मोदी और भारतीय जनता पार्टी की हिंदुत्व राजनीति से पूरी तरह उलट है. बहरहाल, जाहिर तौर पर मुलायम सिंह यादव की सेहत ठीक नहीं है उनके बेटे अखिलेश ने उनकी अपनी पार्टी की सत्ता उनसे छीन ली है, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि उनकी इच्छा अब भी समाजवादी पार्टी के एक तबके के लिए आदेश की तरह है. विशेष तौर पर पुरानी पीढ़ी के यादवों के बारे में तो ऐसा कहा ही जा सकता है. उत्तर प्रदेश में पुराने दौर के समाजवादी नेताओं व कार्यकर्ताओं के बीच अब भी 'नेताजी' (प्यार से उन्हें दिया जाने वाले संबोधन) की काफी कद्र है. सदन में मुलायम सिंह यादव का आखिरी भाषण था है यह! 16वीं लोकसभा का उनका यह आखिरी भाषण लोकसभा का उनका आखिरी भाषण भी हो सकता है (दरअसल यह तय नहीं है कि वह अगला लोकसभा चुनाव लड़ेंगे). ऐसे में जाहिर है कि यह सदन के पटल पर भी उनका आखिरी भाषण हो सकता है और ऐसे में यह समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए काफी अहम हो जाता है. उन्होंने समाजवादी पार्टी-बहुजन समाजवादी पार्टी गठबंधन को लेकर साफ तौर पर संकेत दिए हैं कि अखिलेश यादव ने जिस तरह से मायावती की शर्तों के आगे झुकते हुए उनकी पार्टी बीएसपी के साथ समझौता किया है, उससे वह खुश नहीं हैं. उन्होंने स्पष्ट रूप से पूरी दुनिया को बता दिया है कि वह अखिलेश यादव द्वारा मायावती या ममता बनर्जी या राहुल गांधी की प्रधानमंत्री संबंधी उम्मीवार का समर्थन किए जाने को पसंद नहीं करते हैं. इसकी बजाय वह प्रधानमंत्री के पद पर मोदी की वापसी को पसंद करेंगे. उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में जब अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव को दरकिनार कर राहुल गांधी के साथ गठबंधन कर कांग्रेस को 100 विधानसभा सीटों की पेशकश की, तो कहा जा रहा था कि मुलायम अपने बेटे के इस फैसले से खुश नहीं थे. हालांकि, मुलायम सिंह यादव ने इस मामले में सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं कहा. 2017 विधानसभा चुनाव के नतीजे समाजवादी पार्टी के लिए काफी बुरे रहे. मुलायम को शायद अगले संसदीय चुनाव में समाजवादी पार्टी का यही हाल होने की आशंका है, ऐसी पार्टी जिसे उन्होंने दशकों की अपनी कड़ी मेहनत से अपने बूते खड़ा किया. बहरहाल, सदन के बाहर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने 'मोदी फिर से पीएम बनें' वाली मुलायम सिंह यादव की टिप्पणी से असहमति जताई. मोदी ने समापन भाषण में मुलायम को विशेष धन्यवाद दिया, राहुल पर कसा तंज भारतीय जनता पार्टी पहले ही इसको लेकर उत्साह की मुद्रा में है. इस पार्टी के नेताओं वह अस्त्र-शस्त्र मिल गया है, जो वह एसपी-बीएसपी गठबंधन में छेद करने के लिए ढूंढ रहे थे. इस बात में कोई शक नहीं कि मुलायम सिंह के इस बयान को अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी और आरएसएस द्वारा अपने बड़े सांगठनिक तंत्र के साथ हरमुमकिन कोशिश की जाएगी. बहरहाल, जब लोकसभा के पटल पर अपने मौजूदा कार्यकाल का समापन भाषण देने की मोदी की बारी आई, तो उन्होंने मुलायम सिंह यादव को 'विशेष रूप से धन्यवाद' देकर अपना यह भाषण समाप्त किया. मोदी ने रहस्यमय ढंग से अपने कार्यकाल और खत्म हो रहे इस लोकसभा को अपनी 'पहली पारी की शुरुआत' बताया. उन्होंने 'पूर्ण बहुमत वाली सरकार' को श्रेय देते हुए इशारों-इशारों में अपना संदेश भी देने का प्रयास दिया और इसके लिए 2014 में जबरदस्त तरीके से मतदान करने की खातिर 125 करोड़ भारतीयों का आभार प्रकट किया. जाहिर तौर पर उन्हें उम्मीद है कि आगामी चुनाव में लोग उनमें कुछ इसी तरह का भरोसा दिखाएंगे. उनके भाषण में बार-बार दलित आइकन बी. आर. अंबेडकर और महात्मा गांधी का जिक्र आया. इसके अलावा, काले धन और भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने की बात भी उनके भाषण में प्रमुखता से नजर आई. उनका कटाक्ष राहुल गांधी के लिए सुरक्षित था. हालांकि, उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा पूरी तरह से स्पष्ट था. उन्होंने कहा, 'लोकसभा का 5 साल का कार्यकाल पूरा हो गया, लेकिन सदन के अंदर 'कोई भूकंप' नहीं महसूस हुआ, कुछ लोगों ने कागज के हवाई जहाज उड़ाने की कोशिश की.' गौरतलब है कि राहुल गांधी ने कहा था कि अगर उन्हें बोलने की इजाजत की गई तो भूकंप आ जाएगा. साथ ही, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने राफेल डील के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करते हुए कागज के हवाई जहाज उड़ाए थे. इसके बाद उन्होंने राहुल के गले मिलने और आंख मारने का जिक्र किया. प्रधानमंत्री ने व्यंगात्मक अंदाज में कहा, 'मैंने इस सदन में नई चीजें सीखी हैं...पहली बार मैं समझ पाया कि गले मिलने और गले पड़ने में क्या अंतर है...पहली बार देखा आंखों की गुस्ताखियां.'

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