नई दिल्ली/लखनऊ उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री , उनके सांसद पुत्र और अन्य को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में सीबीआई द्वारा क्लीन चिट दिए जाने पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस कार्यकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया है कि इसके पीछे ‘बहुत बड़ी साजिश’ है। चतुर्वेदी ने शीर्ष अदालत में दाखिल अपने जवाब में कहा कि इस आपराधिक मामले को रफा-दफा करने की व्यापक साजिश 2009 से 2013 के दौरान हुई। उन्होंने अपने हलफनामे में कहा कि इस मामले को बंद करने के लिए प्रतिवादियों द्वारा की गई व्यापक साजिश की शीर्ष अदालत को जांच करनी चाहिए। चतुर्वेदी ने एक नया आवेदन दायर कर न्यायालय से अनुरोध किया कि सीबीआई को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के इस मामले में मुलायम सिंह यादव और उनके दो बेटों- अखिलेश यादव और प्रतीक के खिलाफ की गई जांच की प्रगति रिपोर्ट शीर्ष अदालत या मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश करने का निर्देश दिया जाए। कांग्रेस कार्यकर्ता ने 2005 में मुलायम और अखिलेश पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए इसकी सीबीआई से जांच के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी। शीर्ष अदालत ने एक मार्च, 2007 को सीबीआई को इन आरोपों की जांच का आदेश भी दिया था। चतुर्वेदी ने अब आरोप लगाया है कि जांच ब्यूरो ने सिर्फ न्यायालय को ही गुमराह नहीं किया, बल्कि इस मामले की गंभीर खामियों पर पर्दा डालने के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग से भी महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया। सूचना के अधिकार कानून के तहत पांच जुलाई को मिली जानकारी का हवाला देते हुए चतुर्वेदी ने कहा है कि केंद्रीय सतर्कता आयेाग ने उन्हें सूचित किया है कि जांच ब्यूरो ने उसके समक्ष कोई रिपोर्ट पेश नहीं की है। सतर्कता आयोग का जवाब जांच ब्यूरो के इस बयान के विपरीत है कि सीवीसी के समक्ष आठ अक्टूबर, 2013 को रिपोर्ट दाखिल करने के बाद मुलायम सिंह, अखिलेश और प्रतीक के खिलाफ प्रारंभिक जांच बंद की गई। जांच ब्यूरो ने 21 मई को शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि समाजवादी पार्टी के नेताओं के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप साबित नहीं हो सके और उसने प्रारंभिक जांच सात अगस्त, 2013 को बंद कर दी थी। इस मामले में निष्पक्ष और पेशेवर तरीके से जांच करने के बाद ही उसने शीर्ष अदालत के 2012 के फैसले में दिए गए निर्देशों के अनुरूप इन सभी के खिलाफ इस मामले को बंद करने का स्वतंत्र रूप से निर्णय लिया। जांच ब्यूरो ने यह भी कहा कि उसने प्रारंभिक जांच के मामले में अपने निर्णय से आठ अक्टूबर, 2013 को केंद्रीय सतर्कता आयोग को इसे बंद करने के लिए विस्तृत कारणों के साथ अवगत कराया था। शीर्ष अदालत ने मार्च 2007 में केंद्रीय जांच ब्यूरो को मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने बाद में 2012 में मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्रों की पुनर्विचार याचिकायें खारिज कर दी थीं लेकिन अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के खिलाफ जांच यह कहते हुए खत्म कर दी थी कि वह किसी सार्वजनिक पद पर नहीं थीं।
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