UP: कुर्सी पाने और बचाने में जुटे मंत्री और दावेदार - Breaking News

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Tuesday 20 August 2019

UP: कुर्सी पाने और बचाने में जुटे मंत्री और दावेदार

लखनऊ योगी सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार के आगे बढ़ने से दावेदार 'आहत' और 'राहत' दोनों महसूस कर रहे हैं। दावेदारी की रेस में खुद को आगे मानने वाले अंतिम दौर में पिछड़ने की खबरों के बाद इस मौके को संजीवनी मान समीकरण दुरुस्त करने में जुट गए हैं। वहीं, खुद को बनना तय मानने वालों की भविष्य को लेकर धुकधुकी बढ़ गई है। में इस समय 18 जगहें खाली हैं। 4 पद कैबिनेट मंत्रियों के इस्तीफ के चलते खाली हैं। परिवहन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार स्वतंत्रदेव सिंह के रविवार को इस्तीफा देने के बाद उनके विभाग के खाली होने की भी औपचारिक घोषणा भर होनी है। पिछले सप्ताह की गतिविधियों के बाद सोमवार को मंत्रिमंडल विस्तार तय माना जा रहा था, लेकिन रविवार देर रात इस कवायद पर विराम लग गया। सूत्रों का कहना है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली की खराब तबीयत तो इसकी वजह है ही, लेकिन इसके अलावा कुछ और फैक्टर भी इसके लिए जिम्मेदार बताए जा रहे हैं। नाम पर अभी और मंथन! सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में बैठक के बाद संभावित नाम तय किए जा चुके थे, लेकिन कुछ नामों को लेकर हुए संवाद में दी गई सूचनाओं को लेकर संशय की स्थिति पैदा हो गई। इसलिए, उन पर और मंथन किए जाने की जरूरत महसूस की गई। सबसे अधिक माथा-पच्ची हटाए जाने वाले नामों को लेकर है। जिनके मंत्रिपद छिनने की सर्वाधिक चर्चा है, उसमें दो कैबिनेट मंत्री, दो स्वतंत्र प्रभार और एक राज्य मंत्री हैं। इसमें एक कैबिनेट मंत्री की छुट्टी की चर्चाओं के पीछे उम्र का हवाला दिया जा रहा है। वहीं, बाकी चेहरों को हटाए जाने के पीछे उनके परफॉर्मेंस व उनसे जुड़े विवाद को वजह बताया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, अहम विभाग संभालने वाले स्वतंत्र प्रभार के एक मंत्री को हटाए जाने या कद घटाने को लेकर संशय की स्थिति थी। इसलिए एक बार फिर मंथन की जरूरत महसूस की गई। दावेदारों में बढ़ी बेचैनी बीजेपी में अप्रत्याशित निर्णय लेने के नए चलन ने कई दावेदारों की चिंता बढ़ा दी है। अक्सर कई प्रत्याशित नाम रेस में पिछड़ जाते हैं, जबकि अंतिम घोषणा न होने तक संशय हमेशा बना रहता है। इसलिए पूर्वांचल से लेकर वेस्ट यूपी तक के ऐसे चेहरे जिन्हें उनके 'हितचिंतकों' ने आश्वस्त किया था, उनकी चिंता बढ़ गई है। रेस में शामिल ऐसे ही एक नेता का कहना है कि इतने दावेदार हैं कि कब कौन किसका समीकरण बिगाड़ दे और किसका ठीक हो जाए, यह कहा नहीं जा सकता है। सबसे अधिक भाग-दौड़ उन्होंने शुरू कर दी है, जिनके पर कतरे जाने की आशंका है। साथ ही, संगठन के कुछ चेहरों के साथ संभावित दावेदारी में पिछड़े कुछ विधायकों ने भी मंत्री की कुर्सी की हर संभावित राह तलाशनी शुरू कर दी है। सूत्रों की मानें तो मौका लंबा नहीं मिलेगा, मंत्रिमंडल विस्तार इसी सप्ताह या इसी महीने हो जाने के पूरे आसार हैं। आजम के चहेते रहे एसपी सिंह बीजेपी के हुए आजम खां के सबसे करीबी अफसरों में शुमार रहे पूर्व आईएएस अफसर एसपी सिंह ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली। सोमवार को रवींद्रालय में आयोजित सदस्यता अभियान में उन्होंने बीजेपी का दामन थामा। जल निगम में हुए भर्ती घोटाले के मुकदमे में एसपी सिंह पूर्व मंत्री आजम खां के साथ नामजद हैं। उनसे एसआईटी दो बार पूछताछ भी कर चुकी है। नगर विकास सचिव रहे एसपी सिंह तत्कालीन नगर विकास मंत्री आजम खां के इतने करीबी थे कि उनके विभाग में सचिव बनने के बाद चार साल तक कोई प्रमुख सचिव नहीं आया। हाई कोर्ट ने फटकार लगाते हुए हटाने का आदेश दिया तो रिटायरमेंट के बाद भी एक्सटेंशन के जरिए उन्हें पद पर बनाए रखा गया। अंतत: योगी सरकार आने के बाद उन्हें विभाग से हटाया गया। वहीं, एसपी सिंह का कहना है कि उन्होंने विचारधारा से प्रभावित होकर बीजेपी जॉइन की है, जांच कोई मुद्दा नहीं है।


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