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Saturday, 5 October 2019

हाई कोर्ट का ग्रीन सिग्नल, आरे के हरे पर चली आरी

शुक्रवार को मुंबई हाई कोर्ट में आरे कॉलोनी को बचाने के लिए दायर याचिकाएं रद्द होने के बाद देर शाम पेड़ों की कटाई शुरू हो गई। पर्यावरण प्रेमियों के अनुसार, उधर कोर्ट का फैसला आया और इधर आरे के पेड़ों पर आरियां चलने लगीं। पेड़ों की कटाई रोकने के लिए जब पर्यावरणप्रेमी आरे में पहुंचे, तो पुलिस ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। खबर लिखे जाने तक पेड़ों को बचाने के लिए आनन-फानन में तमाम लोग आरे कॉलोनी में पहुंचने लगे। मौके पर मौजूद स्थानीय नागरिक स्वप्निल ने बताया कि बड़ी संख्या में मुंबईकरों के जुटने के बाद पेड़ों की कटाई रोक दी गई। हालांकि तब तक करीब 10 पेड़ों को काट दिया गया था। जब एनबीटी ने MMRCL से संपर्क किया, तो उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी। पर्यावरण प्रेमियों के अनुसार, शुक्रवार रात को करीब 8 बजे पेड़ों की कटाई शुरू की गई। स्वप्निल ने बताया कि हम पेड़ों की कटाई रोकने के लिए जंगल में जाने लगे, तो हमें काफी पहले ही रोक दिया गया। मौके पर मौजूद लोगों के अनुसार, करीब 15 लोग पेड़ों की कटाई कर रहे थे। चार याचिकाएं खारिज इससे पहले मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने आरे कॉलोनी को वन क्षेत्र घोषित करने और मेट्रो कारशेड के लिए पेड़ों की कटाई को मिली मंजूरी को रद्द करने के लिए दायर चार याचिकाओं को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करने वाले शिवसेना नगरसेवक यशवंत जाधव पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। जाधव मेट्रो कार शेड के लिए 2,600 पेड़ों को काटने की मंजूरी देने वाले बीएमसी के वृक्ष प्राधिकरण के सदस्य हैं। पीठ ने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय हरित प्रधिकरण (NGT) के समक्ष लंबित है। 7 दिन से भूख हड़ताल आरे कॉलोनी को बचाने के लिए पर्यावरण प्रेमी भूख हड़ताल कर रहे हैं। आरे से मेट्रो कारशेड को कहीं और शिफ्ट करने की मांग करने वाले संजीव वल्सन 28 सितंबर से भूख हड़ताल पर हैं। हाई कोर्ट के फैसले के बाद वल्सन ने कहा कि आरे के जंगल को बचाने के लिए आंदोलन जारी रहेगा। BMC की वेबसाइट पर तुरंत अपडेट आरे के पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए कोर्ट में याचिका दायर करने वाले जोरू बाथेना ने बताया, ‘पेड़ों की कटाई की अनुमति बीएमसी की वेबसाइट पर शुक्रवार शाम 4 बजे अपलोड की गई। नियम के मुताबिक, परमिशन अपलोड होने के कुछ दिनों बाद पेड़ काटे जाने चाहिए थे, लेकिन प्रशासन ने आनन-फानन में यह काम शुरू कर दिया।’


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