मुंबई सर्दियों के मौसम में कोहरे के कारण उत्तर भारत की ओर से आने वाली अधिकतर ट्रेनें देरी से चलती हैं, लेकिन एक हैरान करने वाला कारण और है, जिससे ट्रेनें लेट हो जाती हैं। वह कारण है स्टेशनों पर ट्रेनों की चेन पुलिंग। खासतौर पर उत्तर भारत की ओर आने-जाने वाली ट्रेनें इस कारण से लेट हो जाती हैं। मध्य रेलवे पर अप्रैल-2019 से जनवरी 2020 तक मुंबई के अलग-अलग स्टेशनों पर 1434 मामले चेन पुलिंग के दर्ज हुए हैं। 2018-19 के मुकाबले इस तरह के मामलों में 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सामान का बोझ ट्रेनों के लेट होने के कारणों की जांच के लिए मध्य रेलवे मुंबई डिविजन द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में चेन पुलिंग की घटनाओं से ट्रेन लेट होने के मामले सबसे ज्यादा सामने आए हैं। चेन पुलिंग की वजह भी हैरान करने वाली है। अक्सर यात्रियों द्वारा जंजीर से खान-पान का सामान लटकाने के कारण ये घटनाएं हो रही हैं। सामान के बोझ से चेन खिंचती है और ट्रेन रुक जाती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि चेन पुलिंग की घटनाओं के कारण जहां 2018-19 में 1,658 ट्रेनें लेट हुईं, 2019-20 (जनवरी तक) इन घटनाओं की संख्या बढ़कर 2,357 हो गई। नए कोच में ज्यादा घटनाएं एक अधिकारी के अनुसार, विश्लेषण में ये भी पता चला है कि पुराने कोच की बजाय आधुनिक एलएचबी कोच में ये घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। इन कोच में चेन का हैंडल कुछ इस तरह बना हुआ है कि यात्री इसे सामान लटकाने का हैंडल समझ लेते हैं। पुराने कोच में लटकती हुई जंजीर के कारण फर्क समझना आसान था। मध्य रेलवे मुंबई डिविजन सिक्यॉरिटी कमिश्नर के.के. अशरफ के अनुसार, ‘बिना सही कारण के चेन खींचना एक अपराध है। इन मामलों में दोषी पाए जाने पर कई यात्रियों को दंडित भी किया जा चुका है।’ पिछले साल 556 ऐसे मामले थे, जिसमें यात्रियों द्वारा चेन खींचने का कोई ठोस कारण नहीं दिया गया था। इस तरह के मामले दो स्टेशनों के बीच होते हैं, तब ट्रेनें ज्यादा लेट हो जाती हैं। चेन खींचने के अन्य कारण कई बार ट्रेन में सामान भूलने, यात्री के प्लैटफॉर्म पर ही रह जाने या उन्हें छोड़ने आए रिश्तेदार भीड़ के कारण ट्रेन में ही रह जाने के कारण भी चेन खींची जाती है। अप्रैल-18 से जनवरी-20 के बीच 120 बार कोच में भीड़ बढ़ने के कारण, 163 बार यात्री के प्लैटफॉर्म पर ही रह जाने के कारण और 105 बार रिश्तेदार ट्रेन से नहीं उतर पाने के कारण चेन खींची गई थी। एक अधिकारी ने बताया कि ज्यादा भीड़ होने के कारण यात्रियों के उतरने-चढ़ने में ज्यादा समय लगता है। ऐसे में कुछ ट्रेनों को कल्याण स्टेशन पर 3 मिनट के बजाय 5 मिनट का पड़ाव दिया गया है। कल्याण स्टेशन पर पिछले साल चेन पुलिंग की 328 घटनाएं दर्ज हुई हैं। ठाणे स्टेशन पर इस तरह के 154 मामले दर्ज हुए हैं। सही घोषणाओं से टल सकती हैं घटनाएं कई स्टेशनों पर पुराने कोच के मुताबिक कोच क्रमांक के इंडिकेटर दिए हुए हैं। आधुनिक कोच की लंबाई ज्यादा होने के कारण कोच की स्थिति मौजूदा संकेत के मुताबिक नहीं है। इसके अलावा ट्रेन के आने से पहले प्लैटफॉर्म क्रमांक की सही घोषणा हो। यात्रियों को चेन से सामान नहीं लटकाने की जानकारी दी जाए, तो इस तरह की घटनाओं में कमी लाई जा सकती है। मध्य रेलवे के विश्लेषण में यह भी पता चला है कि उत्तर भारत की ओर जाने वाली 46 ट्रेनों में इस तरह की घटनाएं बार-बार होती हैं। इनमें पवन एक्सप्रेस, छपरा एक्सप्रेस और कामायनी एक्सप्रेस प्रमुख हैं।
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