शारदा चिटफंड घोटाले को लेकर सीबीआई ने कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से लगातार तीसरे दिन भी पूछताछ की. सोमवार को शिलांग में सीबीआई की जांच टीम ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के पूर्व सांसद कुणाल घोष और कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की. सीबीआई सूत्रों का कहना है कि राजीव कुमार और कुणाल घोष को एक टेबल पर बैठा कर पूछताछ के बाद भी राजीव कुमार से सीबीआई को संतोषजनक जवाब नहीं मिल सका. राजीव कुमार सीबीआई जांच टीम को लगातार गुमराह कर रहे हैं. ऐसे में सीबीआई सूत्रों का कहना है कि राजीव कुमार की गिरफ्तारी के लिए सीबीआई सुप्रीम कोर्ट का जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने ही राजीव कुमार को गिरफ्तार नहीं करने का आदेश दे रखा है. सीबीआई मंगलवार को भी राजीव कुमार से पूछताछ कर सकती है. इससे पहले शनिवार और रविवार को भी सीबीआई ने राजीव कुमार से पूछताछ की थी जो सुबह 10 बजे से लेकर देर शाम तक चली थी. आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार से पूछताछ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद की जा रही है. ये भी पढ़ें: शारदा चिट फंड केस : लगातार चौथे दिन जारी रहेगी राजीव कुमार से सीबीआई की पूछताछ सीबीआई ने बीते शनिवार को ही टीएमसी से निष्कासित पूर्व सांसद कुणाल घोष को भी शिलांग के ऑकलैंड कार्यालय में पेश होने का नोटिस भेजा था. सीबीआई ने साल 2013 में भी कुणाल घोष को रोजवैली और शारदा चिटफंड घोटाले में गिरफ्तार किया था. बाद में कोलकाता हाईकोर्ट ने साल 2016 में कुणाल घोष की अंतरिम जमानत मंजूर की थी, जिसके बाद से घोष बाहर चल रहे हैं. रोजवैली और शारदा मामले की जांच राजीव कुमारी ही कर रहे थे: दरअसल 2013 में रोजवैली और शारदा चिटफंड मामले की जांच के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने राजीव कुमार के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया था. सीबीआई का दावा है कि उस दौरान एसआईटी की तरफ से जुटाए गए सुबूतों में एक लैपटॉप, पांच मोबाइल फोन और शारदा समूह के प्रमुख सुदिप्तो सेन की लाल डायरी सहित कुछ अहम दस्तावेज शामिल थे. सीबीआई का दावा है जांच के दौरान एसआईटी ने कुछ अहम सबूतों को गायब कर दिया. इसी सिलसिले में सीबीआई, राजीव कुमार से पूछताछ कर रही है. शिलांग के सीबीआई के एंटी करप्शन ब्यूरो ऑफिस में पिछले तीन दिन से कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ चल रही है. सीबीआई ने कुणाल घोष और राजीव कुमार को पहली बार रविवार शाम को एक टेबल पर बैठाकर पूछताछ की थी. रविवार को दोनों से शारदा चिट फंड घोटाले को लेकर सीबीआई ने कई सवाल दागे. सीबीआई टीम राजीव कुमार और कुणाल घोष को आमने सामने बैठाकर वीडियो रिकॉर्डिंग भी की है. सीबीआई का कहना है कि एसआईटी ने उसे कभी नहीं बताया कि रोजवैली ग्रुप के खिलाफ पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में भी कोई मामला दर्ज है. साथ ही सीबीआई राजीव कुमार से भी यह पूछताछ कर रही है कि सुदीप्तो सेन और देबजानी के पास से जो पेन ड्राइव जब्त किए गए हैं, वह एसआईटी ने सीबीआई को अब तक क्यों नहीं सौंपा है? सीबीआई का दावा है कि यह पेन ड्राइव, इस घोटाले की जांच करने वाली एसआईटी टीम के हाथ लगा था. इस घोटाले की शुरुआती दिनों में जांच करने वाली एसआईटी ने टीएमसी के पूर्व सांसद कुणाल घोष से दर्जनों बार पूछताछ की थी. एसआईटी चीफ रहे आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार ने भी कुणाल घोष से पूछताछ की थी. एसआईटी की पूछताछ के बाद ही टीएमसी ने कुणाल घोष को पार्टी से निकाल दिया था. कुणाल घोष ने बाद में पीएम मोदी को पत्र लिख कर इस घोटाले की पूरी जानकारी दी थी. ऐसा माना जा रहा है कि कुणाल घोष वह शख्स है, जिसके सुबूत और बयान के आधार पर ही राजीव कुमार पर सीबीआई का शिकंजा कस रहा है. ये भी पढ़ें: कोलकाता पुलिस के अधिकारियों के मेडल वापस लिए जाने पर उन्हें 'बंग विभूषण' देंगी ममता सीबीआई अधिकारियों का कहना है कि एसआईटी ने जांच के दौरान इस घोटाले में जब्त किए कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और साक्ष्य को सीबीआई से छुपाया है. सीबीआई अधिकारी का कहना है कि शारदा कंपनी के ऑफिस से जब्त कई हार्ड ड्राइव, सीसीटीवी फुटेज और पेन ड्राइव सीबीआई को अब तक सौंपे नहीं गए हैं. राजीव कुमार के एसआईटी प्रमुख और विधान नगर आयुक्त रहते शारदा चिटफंड घोटाले के कई सुबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई. इस बीच सोमवार को बदलते घटनाक्रम के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शारदा चिटफंड मामले में जांच की निगरानी करने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि उसे नहीं लगता कि इस घोटाले की जांच में उनकी निगरानी की कोई जरूरत है. इस मामले में निवेशकों ने कोर्ट से अपील की थी कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इस पूरे घोटाले की जांच की जाए. लेकिन सोमवार को इस मामले पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने निगरानी से इनकार कर दिया. क्या है शारदा चिटफंड घोटाला: शारदा चिटफंड घोटला पश्चिम बंगाल का एक बड़ा आर्थिक घोटाला है. जिससे कई बड़े नेताओं के नाम जुड़े हैं. शारदा कंपनी पर आरोप है कि पैसे ठगने के लिए लोगों से लुभावने वादे किए गए थे और रकम को 34 गुना करके वापस करने के लिए कहा था. इस घोटाले में करीब 40 हजार करोड़ की हेर-फेर हुई थी. साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिए थे कि इस मामले की जांच करे. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम पुलिस को जांच में सहयोग करने का आदेश दिया था. बता दें कि शारदा ग्रुप ने महज 4 सालों में पश्चिम बंगाल के अलावा झारखंड, उड़ीसा और नॉर्थ ईस्ट राज्यों में अपने 300 ऑफिस खोल लिए थे. पश्चिम बंगाल की इस चिटफंड कंपनी ने 20 हजार करोड़ रुपए लेकर दफ्तरों पर ताला लगा दिया था. इस मामले में कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किया गया था. नलिनी पर आरोप है कि उन्होंने शारदा ग्रुप के प्रमुख सुदीप्तो सेन के साथ मिलकर साल 2010 से 2012 के बीच 1.4 करोड़ रुपए लिए थे. क्या कहता है भारत सरकार का चिट फंड एक्ट: गौरतलब है कि भारत सरकार के चिट फंड एक्ट के मुताबिक चिट फंड स्कीम का मतलब होता है कि अगर कोई शख्स, कंपनी या ग्रुप एक साथ समझौता करे कि एक निश्चित रकम या कोई चीज एक तय वक्त पर किश्तों में जमा की जाए और बाद में उसकी नीलामी अगर की जाए तो जो फायदा हो वह बाकी लोगों में बांट दिया जाए. इस स्कीम में पहले बोली लगाने वाले शख्स को पैसा लौटाना भी होता है. इस एक्ट के मुताबिक यह स्कीम किसी संस्था या आदमी के आपसी सहमति से चलाया जा सकता है. लेकिन, हाल के कुछ वर्षों में देखा गया है कि चिटफंड के स्थान पर लोग या समूह सामूहिक निवेश योजनाएं चला रहे हैं. पिछले दिनों यह मामला तब सुर्खियों में आया था जब, सीबीआई की टीम कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ के लिए उनके आवास पर पहुंची थी. राजीव कुमार से पूछताछ को लेकर सीबीआई की टीम और पश्चिम बंगाल पुलिस में काफी नोक-झोंक हुई थी. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी इस घटना के बाद धरने पर बैठ गई थीं. ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर सीबीआई का गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया था. ये भी पढ़ें: शारदा चिटफंड केस: SC ने जांच की निगरानी से किया इनकार, राजीव कुमार से पूछताछ जारी
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Tuesday, 12 February 2019
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कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार की गिरफ्तारी के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी CBI?
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