नई दिल्ली में औसतन हर हफ्ते दो तीन होते हैं, महीने में 10 से 12 सर्जरी होती हैं। लेकिन बेड की किल्लत की वजह से एम्स में किडनी ट्रांसप्लांट पूरी तरह से प्रभावित हो गया है। नए मरीज एडमिट नहीं किए जा रहै हैं। पिछले एक महीने से यह दिक्कत है। 125 मरीज लाइव किडनी ट्रांसप्लांट के लिए और 450 लोग कैडेवर के जरिए ट्रांसप्लांट के इंतजार में हैं। 10 मरीजों के परिजनों ने एम्स प्रशासन से जल्द सर्जरी कराने की गुहार लगाई है। अभी यहां किडनी ट्रांसप्लांट के लिए सिर्फ चार बेड है, जबकि 22 बेड की जरूरत है। पिछले 30 साल से नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी ब्लॉक के प्रस्ताव को एम्स प्रशासन ने ठंडे बस्ते में डाला रखा है। एम्स के नेफ्रोलॉजी विभाग के सीनियर डॉक्टर ने बताया कि अब तक 2900 ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं और हर साल इसमें 150 नए ट्रांसप्लांट जुड़ रहे हैं। हर ट्रांसप्लांट के बाद 1 पर्सेंट मरीजों को बाद में एडमिट करने की नौबत आ जाती है। दिक्कत यह है कि अभी नेफ्रोलॉजी में कुल 24 बेड हैं और उसमें से सिर्फ चार बेड किडनी ट्रांसप्लांट के लिए है। अभी 2000 मरीज फॉलोअप में हैं, जिसके लिए हमें हमेशा कम से कम 22 ट्रांसप्लांट बेड की जरूरत है। विभाग के डॉक्टर का कहना है कि सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इमरजेंसी में किडनी की बीमारी की वजह से अंतिम स्टेज में पहुंचने वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई है। प्रशासन ने इन्हें पहले एडमिशन को तवज्जो देने को कहा है। ऐसे में नए मरीजों को बेड मिलना मुश्किल होता जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि आमतौर पर इमरजेंसी के मरीज को 24 घंटे में बेड खाली करना पड़ता है, लेकिन अभी यह मरीज कई कई दिन तक रह जाता है, जिससे प्लान मरीज जिसकी सर्जरी की जा सकती है, उसके लिए बेड नहीं होते हैं।
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