नई दिल्ली साल 1975 के बाद से भारत और चीन के बीच सबसे भयानक खूनी संघर्ष 15-16 जून के रात गलवान घाटी में हुआ। इस घटना से दोनों देशों के बीच सीमा पर गहरा चुका तनाव साफ हो गया। भारत के 20 जवान घटना में शहीद हो गए जो पिछले कई साल में सबसे बड़ी संख्या है। अब यह देखा जाना है कि क्या सेनाओं के पीछे हटने का सिलसिला आगे बढ़ेगा या चीन और अंदर तक दाखिल होते चले जाएंगे। बढ़ती जा रही है चीन की हिम्मत माना जा रहा है कि बिना किसी झड़प के भी स्टैंडऑफ काफी लंबा चलेगा। भारत साफ कर चुका है कि वह अपनी ओर इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कराएगा, भले ही उससे चीन के साथ आमने-सामने आने का खतरा हो। हालांकि, चीन की इन हरकतों पर अमूमन भारतीय मंत्री यही कहते हैं कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की अलग-अलग समझ की वजह से ऐसा हो रहा है लेकिन इसकी वजह से चीन को बार-बार ऐसा करने की हिम्मत मिल जाती है। QUAD में रहने से नाराज अब तक चीनी पैन्गॉन्ग सो में जम चुके हैं और गलवान उनका फेस-ऑफ पॉइंट है। नाकू ला में भारत जिस जगह पर LAC मानता है और एक पत्थर की दीवार (जिसे चीन LAC मानता है), उसके बीच चीन की मौजूदगी है। बड़ा सवाल यह है कि आखिर चीन ने भारत में दाखिल होने का इरादा बनाया क्यूं। इसका एक जवाब हो सकता है कि वह भारत को QUAD (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का समूह) के लिए सजा देना चाहता है। दूसरे देशों को संदेश देने की कोशिश अमेरिका के साथ पहले ही चीन के संबंध खास अच्छे नहीं थे, कोरोना वायरस महामारी को लेकर अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया दोनों के साथ उसके रिश्तों में तनाव पैदा हो चुका है। यह भी हो सकता है कि वह भारत के साथ ऐसी स्थिति पैदा करने के लिए अमेरिका और दूसरे देशों को संदेश देना चाहता हो जो चीन के खिलाफ खड़े हैं। हो सकता है कि चीन हॉन्ग-कॉन्ग और आर्थिक मंदी जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, चीन ने खुद ऐसे तनावपूर्ण हालात बढ़ाकर भारत को पश्चिम के साथ संबंध गहरे करने की वजह दे दी है जबकि चीन खुद पश्चिम के खिलाफ है। यही नहीं, भारत के चीन को सैन्य जवाब से ज्यादा आर्थिक झटका देने की संभावना है।
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